चैत्र के महीने में गाई जाने वाली उप-शास्त्रीय संगीत में एक प्रकार की बंदिश है चैती। इसमें रामा शब्द का प्रयोग बार बार होता है और इसमें कोयल की कूक, विरह, प्रेम, साजन से प्रेम निवेदन, और कई बार राम जी का वर्णन होता है। क्योंकि चैत्र मास में होली आती है, कई बार चैती में होली का वर्णन भी होता है। मन को छूने वाली चैती की जन्मभूमि बनारस मानी जाती है। बिहार में भी चैती गाई जाती है।
आज शुभा मुद्गल की आवाज़ में सुनते हैं ये चैती-
सपना देखीला पलकनवा हो रामा, सैंया के आवनवा
आभार- ईस्निप्स डाट काम
11 comments:
चैती सुनकर गाँव की याद आने लगी . खेत खलिहानों में चैती सुनने अधिकतर मिल ही जाती है . बहुत बढ़िया प्रस्तुति . आभार
बहुत मधुर !
घुघूतीबासूती
मैं ढूढ़ रहा था कि कोई संगीत का ब्लाग मिले और आप का ब्लाग मिल गया।बहुत अच्छा लगा यहाँ आकर........
संयोग से हम दोनों संगीत से जुडे़ हैं।
हर सप्ताह रविवार को तीनों ब्लागों पर नई रचनाएं डाल रहा हूँ। हरेक पर आप के टिप्पणी का इन्तज़ार है.....
मुझे यकीन है आप के आने का...और यदि एक बार आप का आगमन हुआ फ़िर..आप तीनों ब्लागों पर बार -बार आयेंगी........मुझे यकीन है....
बहुत बढिया!!
चैती को सुनकर खेत खलिहानों की याद आ गयी।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
उम्दा!
शुक्रिया इस प्रस्तुति के लिए।
Blog ki duniya men bhatakte hue yahan tak pahuncha. Bahut hee umdaa prayaas hai aapka. Aapko hamaari or se salaam is anothe pryaas ke liye. Maansi aur Pareekatha bhee behtareen hain. Umeed se jyaada.
मानसी जी नमस्कार ,जाने अंजाने शायद आपका ब्लॉग मुझसे अछूता रहा ...कभी देख ही नही पाई ..हालाँकि संगीत मेरी धड़कनो में बस्ता है ख़ासकर हिन्दुस्तानी ..सुनना और सुन कर एक दूसरी दुनिया में चले जाना ,और जाकर सब कुछ भुला देना ...संगीत की एसी खूबियाँ ही मनमें एक जादू जगाती है ...चैती सुन कर सुकून मिला हालाँकि मौसम बदल गया है,थोडा आराम से सभी पोस्ट पढ़ूंगी आभार
Holi to phalgun maas me hoti hai.
Maharashtra me Falgun Paurnima ko Holi Punrima kahete hai.
Chaitra maas 15 din baad shuru hota hai
wah wah anandam anandam ...
वाह मुदगल ने मुग्ध कर दिया
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