पिछले पोस्ट में मुल्तानी राग के मूलभूत बातों को हमने जाना और आलाप किया।
आइये अब मुल्तानी का गाना सीखें। ये बंदिश मेरी गुरु श्रीमति विमल सोनी जी से मुझे मिली थी। जैसा सीखा था वैसा ही पेश कर रही हूँ। हो सकता है किन्हीं और उस्तादों ने इसे गाई भी हो, अलग तरह से।
छोटा ख़्याल गाने की विधि के बारे में मैंने भूपाली राग सिखाते समय बताया है। एक बार दोहरा दूँ।
किसी भी राग में कोई भी बंदिश गाने से पहले उस राग विशेष का समां बाँधना ज़रूरी होता है। इसलिये, आरोह, अवरोह, पकड़, आलाप आदि गा कर राग को स्थापित किया जाता है। फिर बड़ा खयाल और छोटा खयाल आदि गा कर राग के स्वरूप को और निखारा जाता है। प्रचलन में पहले बड़ा खयाल (जो कि विलम्बित लय में चलता है) के बाद छोटे खयाल (मध्य या द्रुत लय) गाने की प्रथा है, पर कई बार गायक छोटा खयाल ऐसे भी गा सकता है। छोटे ख़याल को गाते समय उसे छोटे छोटे आलाप, और तानों से सँवारा जाता है। तान द्रुत गति से दुगुन या चौगुन में गाते हैं।स्वरलिपि: (मैं भातखंडे स्वरलिपि पद्धति का इस्तेमाल कर रही हूँ, जो कि एक सरल पद्धति है) । संगीत के छात्र को चाहिये कि वो पहले स्वरलिपि के स्वरों को याद कर के गाये और बाद में गीत के शब्द उनमें बैठा ले। अर्थात निम्नलिखित गाने में पहले सरलिपि के स्वरों को गा कर अभ्यास कर ले, फिर गीत के शव्दों को स्वरों मॆं ढाले।ताल और लय- किसी भी बंदिश को गाते समय ताल और लय का खयाल रखना ज़रूरी होता है। विभिन्न मात्राओं के विविध समुह को ताल कहते हैं। स्वर और लय ही संगी का आधार है। प्रत्येक ताल के कुछ निश्चित बोल होते हैं। बोल धा, धिन, कित, आदि वर्णों से निर्मित होते हैं। तीन ताल १६ मात्राओं का होता है।सुविधा के लिये प्रत्येक ताल को छोटे छोटे विभागों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक ताल के विभागों की संख्या निश्चित होती है। जैसे कि तीनताल में ४ विभाग हैं। गायक गाते समय हाथ से हर विभाग पर ताल देता है और उसे पता होता है कि वो किस मात्रा पर है। जिस मात्रा पर गाते समय ज़ोर पड़े वहाँ सम माना जाता है जो कि किसी भी ताल की पहली मात्रा मानी जाती है। सम को स्वरलिपि में एक क्रास चिन्ह से दर्शाया जाता है। सम के अलावा खाली (जहाँ तबले में ड्ग्गा नहीं बजता) और ताली अन्य विभागों की प्रथम मात्रा है। खाली को स्वरलिपि में शून्य से दर्शाया जाता है।
अब गाना और गाने की स्वरलिपि:
स्थाई:
संदर सुरजनवा साईं रे
साईं रे मन भाई रे
अंतरा:
निसदिन तुम्हरो ध्यान धरत है
आन मिले रब साई रे
स्वरलिपि-
स्थाई:-
...............।..............।..............।.............प - ।
...............।..............।..............।............सुं ऽ ।
------------० --------------३ ---------------x -------------२
प ग॒ म॑ ग॒ । रे॒ रे॒ सा सा । ऩि सा म॑ ग॒ । म॑ प - - ।
द र सु र । ज न वा ऽ । सा ऽ ई ऽ । रे ऽ ऽ ऽ ।
प प - ध॒ । प ग॒ म॑ प । नि पनि सां नि । ध॒ प प - ।
ऽ सा ऽ ई । रे ऽ म न । ऽ भाऽ ई ऽ । रे ऽ सुं ऽ ।
अंतरा:
प ग॒ म॑ प । नि नि सां सां । नि नि सां गं॒ । रें॒ रें॒ सां -
नि स दि न । तु म्ह रो ऽ । ध्या ऽ न ध । र त हैं ऽ
नि - सां गं॒ । रें॒ - सां सां । म॑प सां नि ध॒ । प ग॒ प ऽ
आ ऽ न मि । ले ऽ र ब । सां ऽ ई ऽ । रे ऽ सुं द
(यह बंदिश मुझे मेरी गुरु श्रीमती विमल सोनी से प्राप्त हुई थी)
अभी भीमसेन जोशी की आवाज़ में एक प्रसिद्ध बंदिश
राग की बारीकि़यों पर ध्यान दें।
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7 comments:
आपकी कक्षा में यह विद्यार्थी उपस्थित है गुरुजी.सीखने का प्रयास कर रहा हूं-गायन तो क्या सीख पाऊंगा कायदे से सुनना आजाय ,यह दुआ करें. बहुत बढ़िया.
यकीन नहीँ हो रहा मुझे इस ब्लॉग पर।
बहुत ही लाजवाब।
थैँक्स
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Very fine for music students
RANA RANJEET BASU Bhojpuri singer
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