इस लेख में जल्द ही राग भूपाली को गा कर सिखाया जायेगा। कुछ तकनीकी वजहों से यहाँ पर पोस्ट की गई आवाज़ को मिटाया गया है। असुविधा के लिये खेद है।
गायक को कुछ बातों पर ध्यान देना चहिये । जैसे कि कुछ रागों के स्वर एक ही होते हैं मगर भिन्न स्वर समुह के प्रयोग से या न्यास के स्वर बदल जाने से, अथवा, राग के चलन से दोनों बिल्कुल एक स्वर वाले राग भी बिल्कुल पृथक होते हैं। अत: गाते बजाते समय इन बातों का खयाल रखना बहुत ज़रूरी है जिस
राग भूपाली जैसा ही राग है- राग देसकार। दोनों में ही 'सा रे ग प ध' स्वरों का प्रयोग होता है, मगर दोंनों रागों का ठाठ अलग है, न्यास के स्वर अलग हैं और एक पूर्वांग तो दूसरा उत्तरांग प्रधान राग है।
भूपाली में ध्यान दें कि सा ध़ सा रे ग का प्रयोग बहुत होता है। ये इसका मुख्य स्वर समुह है, ग का बहुतायत से प्रयोग होता है।
http://www.sawf.org/audio/bhoop/fhk_bhoop.ram
http://www.sawf.org/audio/bhoop/bgak_bhoop.ram
http://www.sawf.org/newedit/edit08052002/musicarts.asp
मैं इन सभी वेब साइट को प्रकाशित करने वालों की भूरि भूरि प्रशंसा करती हूँ और धन्यवाद ज्ञापन भी ।
5 comments:
bahut sundar aapka prayaas.....bahut kuch seekhney mila shukriya
बहुत सुंदर ...आपको सुनकर बहुत अच्छा लगा
आपका सेवा भाव और प्रयास अत्यंत ही सराहनीय है..
कृपया इस क्रम को जारी रखें ...दूसरी रागों के बारे में भी हमे बताये...हार्दिक धन्यवाद
बहुत खूब! जारी रखें।
Didi, I do not understand classical music, but I heard your raagas and it is so melodious, even the narration that you have done is so steady and pleasing. Do you speak on some radio or something? If not than you must do that, your voice really has potential, please keep posting.
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