राग भूपाली में बंदिश गाने से पहले निम्नलिखित आवश्यक जानकारी को पढ़ें:
छोटा खयाल गाने की विधि:
किसी भी राग में कोई भी बंदिश गाने से पहले उस राग विशेष का समां बाँधना ज़रूरी होता है। इसलिये, आरोह, अवरोह, पकड़, आलाप आदि गा कर राग को स्थापित किया जाता है। फिर बड़ा खयाल और छोटा खयाल आदि गा कर राग के स्वरूप को और निखारा जाता है। प्रचलन में पहले बड़ा खयाल (जो कि विलम्बित लय में चलता है) के बाद छोटे खयाल (मध्य या द्रुत लय) गाने की प्रथा है, पर कई बार गायक छोटा खयाल ऐसे भी गा सकता है। छोटे ख़याल को गाते समय उसे छोटे छोटे आलाप, और तानों से सँवारा जाता है। तान द्रुत गति से दुगुन या चौगुन में गाते हैं।
स्वरलिपि: (मैं भातखंडे स्वरलिपि पद्धति का इस्तेमाल कर रही हूँ, जो कि एक सरल पद्धति है) । संगीत के छात्र को चाहिये कि वो पहले स्वरलिपि के स्वरों को याद कर के गाये और बाद में गीत के शब्द उनमें बैठा ले। अर्थात निम्नलिखित गाने में पहले सरलिपि के स्वरों को गा कर अभ्यास कर ले, फिर गीत के शव्दों को स्वरों मॆं ढाले।
ताल और लय- किसी भी बंदिश को गाते समय ताल और लय का खयाल रखना ज़रूरी होता है। विभिन्न मात्राओं के विविध समुह को ताल कहते हैं। स्वर और लय ही संगी का आधार है। प्रत्येक ताल के कुछ निश्चित बोल होते हैं। बोल धा, धिन, कित, आदि वर्णों से निर्मित होते हैं। तीन ताल १६ मात्राओं का होता है।
सुविधा के लिये प्रत्येक ताल को छोटे छोटे विभागों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक ताल के विभागों की संख्या निश्चित होती है। जैसे कि तीनताल में ४ विभाग हैं। गायक गाते समय हाथ से हर विभाग पर ताल देता है और उसे पता होता है कि वो किस मात्रा पर है। जिस मात्रा पर गाते समय ज़ोर पड़े वहाँ सम माना जाता है जो कि किसी भी ताल की पहली मात्रा मानी जाती है। सम को स्वरलिपि में एक क्रास चिन्ह से दर्शाया जाता है। सम के अलावा खाली (जहाँ तबले में ड्ग्गा नहीं बजता) और ताली अन्य विभागों की प्रथम मात्रा है। खाली को स्वरलिपि में शून्य से दर्शाया जाता है।
राग भूपाली में निम्नलिखित बंदिश तीनताल में है।
राग भूपाली
राग परिचय-
थाट- कल्याण
वर्जित स्वर- म, नि
जाति- औडव-औडव
वादी- ग
संवादी-ध
गायन समय- रात्रि का प्रथम प्रहर
इस राग का चलन मुख्यत: मन्द्र और मध्य सप्तक के प्रतह्म हिस्से में होती है (पूर्वांग प्रधान राग)। इस राग में ठुमरी नहीं गायी जाती मगर, बड़ा खयाल, छोटा खयाल, तराना आदि गाया जाता है। कर्नाटक संगीत में इसे मोहन राग कहते हैं।
आरोह- सा, रे, ग, प, ध, सा।
अवरोह- सां, ध, प, ग, रे, सा।
पकड़- प ग, रे ग।, सा रे, ध़ सा।
छोटा खयाल- (तीन ताल मध्यलय)
स्थाई
धनधन कृष्न मुरारी तुम
कृष्न गोवर्धन धारी
अंतरा
कोई कहत तुम कृष्न कन्हैया
कोई कहत भव सिंद्युतरैया
कोई कहत तुम सबदुखहारी
स्वरलिपि:
स्थाई
० --------२------------- x---------- ३---------
ग रे ग रे । सा ध़ सा रे । प - ग - रे ग सा रे
ध न ध न । कृ॒ ऽ ष्न मु । रा ऽ री ऽ । ऽ ऽ तु म ।
ग - ग रे । ग प ध सां । धसां धप धसां रेंगं । रेंसां धप गरे सा
कृ ऽ ष्न गो। व र ध न। धाऽ ऽऽ ऽऽ ऽऽ । रीऽ ऽऽ ऽऽ ऽऽ ।
अंतरा
प - प ग । प प सां ध । सां - सां ध । सां - सां सां
को ऽ ई क । ह त तु म । कृ ऽ ष्न क । न्है ऽ या ऽ
ध - ध ध । सां - सां रे । सां रें गं रें सां सां ध प ।
को ऽ ई क । ह त भ व । सिं ऽ द्यु त । रै ऽ या ऽ
ग - ग - रे। ग प ध सां । धसां धप धसां रेंगं । रेंसां धप गरे सा
को ऽ ई क । ह त तु म। सऽ बऽ दुऽ खऽ । हाऽ ऽऽ रीऽ ऽऽ ।
आभार:( गीत मेरे गुरु, श्रीमति जयश्री चक्रवर्ती से मुझे मिला था, मुझे ज्ञात नहीं कि ये कहाँ प्रकाशित हुआ होगा)
तान: (चंद उदाहरण)
खाली से ८ मात्रा बाद शुरु करें-
१) सारे गप धसां धप। गप धप गरे सा
२) सारे गरे गप धसां । धप गरे गरे सा
३) सासा रेग रेग पध । सांध पग रेग सारे
४)सांसां धप गप धसां । रेंसां धप गरे सा
१६ मात्रा बाद शुरु करें-
१) सारे गरे साध़ सारे । गरे गप धप गरे । सारे गप धसां धप । रेंसां धप गरे सा।
२)गग रेग गसा रेरे । ध़सा साप पग पप ।गग रेग गरे रेसा । धध पप गरे सा।
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3 comments:
बहुत खूब मानोषी बहन। लिखती रहें। हो सके तो आपकी आवाज़ में खयाल/अभ्यास (छोटा/बड़ा) रिकोर्ड कर ब्लॉग पर डालें जिससे जिज्ञासुओं को सीखने में विशेष सहायता मिलेगी।
वैसे मैं आजकल मैं राग जौनपुरी सीख रहा हूँ।
आपको धन्यवाद के लिए मेरे पास शब्द नही है अभी मै राग देस मे छोटा ख्याल सिख रहा हुँ ।
निषेध तिवारी
प्रिय मनोषी बहन,
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत पद्धति ( पंडित विष्णु नारायण भातखण्डे स्वरलिपि के अनुसार ) क्रमानुसार सरगम गीत , लक्षण गीत , छोटा ख्याल,बड़ा ख्याल ,ध्रुपद ,धमार,तराना आदि मिल जाते तो बहुत अच्छा होता ।
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