तीव्रास्तु नि ग मा यस्यां कोमलौ धैवतरिषभौ।पांशा संवादि ऋषभा, सायं पूरियाधनाश्रीका॥
--राग चन्द्रिकासार
१) थाट- पूर्वी
२) वादी- संवादी- पंचम व षडज
३) जाति- संपूर्ण संपूर्ण
४) कोमल स्वर- ऋषभ, धैवत
तीव्र स्वर- मध्यम
५) गायन समय- सायंकाल
आरोह: ऩि रे॒ ग म॑ प, म॑ ध॒ नि सां
अवरोह: रें॒ नि ध॒ प, म॑ ग, म॑ रे॒ ग, रे॒ सा
पकड़: ऩि रे॒ ग म॑ प, ध॒ प , म॑ ग म॑ रे॒ ग, रे॒ सा
६) यह राग पूरिया और धनाश्री रागों का मिश्रण है, मगर कई विद्वान इसे स्वतंत्र राग मानते हैं, क्यों कि प्रचलित धनाश्री राग काफ़ी थाट से उत्पन्न होता है। मगर अन्य विद्वानों का कहना है कि ये राग पूर्वी जन्य धनाश्री और पूरिया राग का मिश्रण है।
७) यह एक संधि प्रकाश राग है जो सायंकाल संधिक्षण में गाया बजाया जाता है।
८) म॑ रे॒ ग और रें॒ नि की संगति बहुत देखी जाती है इस राग में।
९) न्यास के स्वर हैं- सा, ग, प
१०) विशेष स्वर संगतियाँ-
ऩि रे॒ ग म॑ प
(प), म॑ ग म॑ रे॒ ग
रें नि ध प, म॑ ग, म॑ रे॒ ग
इस राग के क़रीबी राग हैं - पूर्वी, जैताश्री आदि।
आइये अब सुनते हैं पूरिया धनाश्री में भीमसेन जोशी का गाया प्रसिद्ध- पायलिया झंकार मोरी
और पंडित जसराज का गाया ये ख़्याल-
6 comments:
Aur kuchh likho no Puriya-Dhanashri par...
How did you write different swars? Did you use a special font?
I am creating an editor for writing musical scores in Indian notation (swaralipi).
Are there such editors? Did yo use one?
Thanks
Hi Umesh,
I used unicode. nothing special.
hi manisha di,
bhuuuuuuuuuut lambe waqt k baad apke blog par koi post dekhi,
aapke blog par email id nhi bta rakha,
i just wan to ask few questions.
this is my mail id plz do rply. vikaszutshisn@rediffmail.com kya aap
सुन्दर पोस्ट
आभार...........
Aur kya likhe ? Babu
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